नीरो की मां…
निर्मोही! नीरो की मां
ओ निर्मोही नीरो की मां
कहती थी तू… सुहागन मरूंगी मैं
आज तू सच और मैं झूठ हो गया
मेरा अस्तित्व तू ही थी अब मैं भी खो गया
जिंदा हूं इसलिए कि सांसें चल रही हैं
हे लक्ष्मी! तुझे जब भी देखा व्यस्त ही देखा
जब भी पास आया, तुम्हारी सेवा पाया
बस तू ही संपूर्णता, संपूर्णता और संपूर्णता थी मेरे संसार की
तुम! तुम! सिर्फ तुम! ही हकदार थी मेरे प्यार की
ये जमाना तो बस स्वार्थ का मेला है
एक बार देखो तो सही… भरा पूरा है घर तुम्हारा
पर, तुम्हारा हमसफर अकेला है…
प्रीति पूनम