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एक बुढ़िया के तीन बेटे थे। तीनों मौज-मस्ती करते इधर-उधर घूमते रहते परंतु किसी भी काम में अपनी मां की मदद नहीं करते। बुढ़िया बहुत ही परेशान और चिंतित रहती थी। वह सोचती मेरे मर जाने के बाद पता नहीं ये क्या करेंगे, कैसे अपना जीवन यापन करेंगे मगर बुढ़िया इस बारे में अपने बेटों से कुछ भी कहती तो तीनों मिलकर बात को मजाक में टाल  देते, बुढ़िया कुछ दिनों का राशन-पानी घर में जमा करके एक दिन वह घर से चली गई। वह वन में तपस्या करने लगी, बिना कुछ खाए पिए वह ईश्वर का जाप करती रही।

बुढ़िया की भक्ति भाव से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान उसके सामने प्रकट हुए और बोले मैं तुम्हारी पूजा से खुश हूं, मांगो क्या मांगती हो। बुढ़िया बोली- हे भगवान! मेरे तीनों नालायक बेटे को लायक बना दो कि वह राजा हो या रंक सब की जरूरत बन जाएं, हर घर में उसकी इज्जत हो, किसी भी घर में उसका मजाक ना बने, भगवान मुस्कुराते हुए बोले- ठीक है परंतु कल सुबह तुम उन तीनों को अपने खेत में दौड़ने भेजना और शाम तक वापस आने को बोलना वह जिस हिसाब से दौड़ में जीतेंगे उनको उसी हिसाब से फल मिलेगा, बुढ़िया बोली ठीक है।

प्रभु बस इतनी सी बात है- मैं कर लूंगी। बुढ़िया वापस वन से घर आ गई वह रात को चैन से सोयी और सुबह जगते ही तीनों बेटों को भरपेट खाना खिलाया और बोली आज तुम तीनों की दौड़ प्रतियोगिता होने वाली है जो जीतेगा वही मेरी सारी संपत्ति का मालिक होगा। तीनों बेटे खुशी-खुशी दौड़ने के लिए तैयार हो गए। बुढ़िया के तीनों बेटे लालच में दौड़ने के लिए तैयार थे, तीनों भाग रहे थे, तेज बहुत तेज। अचानक बुढ़िया को याद आया कि वह यह बताना भूल गई है कि सूर्यास्त से पहले उन तीनों को वापस लौटना है।

तीनों बेटे उसके सूर्यास्त तक दौड़ते ही रह गए, कोई वापस नहीं आया। ऐसा माना जाता है की बुढ़िया के यह तीनों बेटे आज भी दौड़ रहे हैं। हर घर में और हर घर की जरुरत बन गए हैं। ये तीनों हैं- सेकंड, मिनट और घंटा। सेकंड बेचारा सबसे पतला है परंतु सबसे तेज दौड़ रहा है। दूसरे स्थान पर मिनट है जो थोड़ा मोटा है पर सेकंड से छोटा है और बेचारा आराम आराम से दौड़ रहा है घंटा, जो सबसे मोटा है। ये तीनों लगातार दौड़ रहे हैं बिना रुके बिना थके निरंतर काम पर लगे हैं या दौड़ रहे हैं जाने कितने वर्षों से। इसलिए तो इनका महत्व और जरूरत हर घर को पता है। भगवान का आशीर्वाद आज भी बुढ़िया के तीनों बेटों को हर घर में दौड़ा रहा है।

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