आज यह कैसी आंधी चली है
आज यह कैसी आंधी चली है,
कुछ टहनियां झूम रही हैं हवा के साथ..
तो कुछ अकड़ी खड़ी हैं।
है उन्हें फ़िक्र नहीं अंजाम की वह टूट जाएंगी हार कर
या फिर पाएगी विजय मुस्कान….
आज यह कैसी आंधी चली है
ना बचेंगे ये मासूम फूल और ये कमजोर पत्तियां..
ना जाने हवा उसे कब जमीन पर बिखेरेगी इधर-उधर..
आज यह कैसी आंधी चली है…..
आसमां के कुछ बादल साथ-साथ चल तो रहे हैं..
पर क्या पता कि कब खींच ले तलवार….
और कर दे एक-दूसरे पर वार,
हो जाए सब पानी पानी…
और मिट जाए इन बादलों का अस्तित्व…
आज यह कैसी आंधी चली है।
ये रौशन करती लौ भी थरथराकर बुझने लगी है
क्या जीत जाएगी रौशनी या फैल जाएगा अंधेरा
आज ये कैसी आंधी चली है…।।