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क्यों मोहब्बत होती है एक स्त्री को सिर्फ पुरुष से
या एक पुरुष को स्त्री से…
क्या वह मोहब्बत नहीं
जो हम करते हैं माता-पिता से, भाई बहन से
अपने पति से या खुद के बच्चों से….
हमें तो किसी से भी हो जाती है मोहब्बत
वो जो बातें करते हैं
जिंदगी की, जिंदादिली की….
जिनकी आंखों में दिखता है
अपनापन और स्नेह
जी करता है उनको भी वेलेंटाइन विश करूँ…
दे आऊं एक तोहफा,
जो हैं जिंदगी के शाम में अकेले….
उनके संग कर लूं कुछ मस्ती,
भर दू कुछ रंग…
पति के साथ तो रोज मनाती हूँ वेलेंटाइन
रोज मचलती हूँ उनके सामने
रोज झूमती हूँ, रोज़ नाचती हूँ…
उनसे ही सीखा है..
प्यार की परिभाषा और समर्पण…
झूमते, गाते, गले लगाते,
पल-पल संवारा है उनको
और हर पल संवरती गई मैं…
कुछ उनकी अच्छाई अपनाई
कुछ उनकी बुराई छुड़ाई….
जिंदगी के हर ऊँची- नीची राह पर
संग-संग वेलेंटाइन मनाई…