सुनो! ऐ चमकते सितारों…

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एक चेहरा जो पर्दे की पहचान बन गया। उसका अक्स हर आंखों में छा गया, वह दिल के बहुत करीब हो गया, वह बस अभिनय करता है पर उसके अभिनय से, उसकी खुशी से हर चेहरा मुस्करा उठता है और दुख से हर दिल रो पड़ता है…

तो फिर आखिर क्यों हर दिल अजीज ये चेहरा अपना दर्द अपने दिल में दबा लेता है,.. अपने दर्द को नासूर बना लेता है और एक दिन…

सुनो! ऐ चमकते सितारे सुनो!

काश! कि तुम समझे होते कि तुम्हारे अभिनय का दर्द जब लोग सह नहीं पाते हैं तो जीवन का दर्द कैसे सह पाएंगे? क्या बॉलीवुड की चकाचौंध ने तुम्हें अपनाया नहीं, इतनी मेहनत के बाद भी तुम वहां जगह नहीं बना पाए… क्या वहां तुम्हारी उपेक्षा हुई… तुम्हारा मजाक बना या उस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद नीचे गिर जाने का डर तुम झेल नहीं पाए?

          काश! कि तुम समझे होते, ये चकाचौंध छोड़कर तुम एक नॉर्मल लाइफ चुन लेते, हजारों हाथ तुम्हें थामने को तैयार थे।

क्या रखा था उस चकाचौंध में कि तुमने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। क्या वापस आना अपने परिवार के बीच इतना मुश्किल था? या तुमने सिर्फ मान लिया। आज मैं सहम गई हूं, हर मां-बाप सहम गया है – जो अपने बच्चे को ऊंचाई देना चाहता है।

जब दुनिया बेमानी लगने लगे – तो हर बच्चा मासूम बच्चे की तरह अपने मां-बाप के पास वापस आ जाए तो वह अपनी छोटी सी जिंदगी का हर हिस्सा तुम्हारे नाम कर देंगे पर अपनी ये लालसा, ये इच्छा इतनी तीव्र मत करो कि वापस आने का डर हो।

मां-बाप हमेशा बाहें फैलाए तुम्हारे इंतजार में खड़े हैं। यह विश्वास होना बहुत जरूरी है हर बच्चे को। अगर थक जाओ तो वापस अपने छोटे से घर में आ जाओ नई जिंदगी के लिए, नए रास्ते के लिए पर गलत कदम मत उठाओ।

जब तुम्हारे लड़खड़ाते कदम और अबोध मन को तुम्हारे छोटे से कस्बे, तुम्हारे शहर या तुम्हारे घर ने संभाल लिया तो अब तुम्हारे पास बुद्धि-विवेक, समझदारी, तजुर्बा  सब है तुम कुछ नया कर सकते हो, मृगतृष्णा में मत  फंसो।

जीने के लिए दो वक्त की रोटी और एक छत काफी है। जिंदगी खत्म करने से पहले यह जरूर सोचना। उन मजदूरों की तरफ काश! कि तुम देखते और सोचते कि उनके पास जीने के लिए क्या है, तो तुम्हारे कदम आज लड़खड़ाते नहीं।

जहां तुम्हारे पेरेंट्स और ग्रैंडपैरेंट्स ने अपनी पूरी उम्र खर्च की वह जगह छोटा हो सकता है, पिछड़ा हो सकता है परंतु तुम्हारे स्वागत के लिए हमेशा बाहें फैलाए खड़ा रहता है। यह कभी भूलना मत!

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