मैं धरा पुत्री नहीं
धरा की पुत्री थी वह
धरा की ही तरफ सहनशील, क्षमाशील….
मैं हूं एक आम लड़की…..
कैसे बन सकती हूं सीता?
इसलिए तो मुझे नहीं चाहिए राम
मुझे तो चाहिए एक आम सा लड़का…
जो मेरी तरह हो बगावती
गलत को कह सके गलत
और सही को सही…
ऐसा आज्ञाकारी चाहिये नहीं...
जो मां के कहने पर मुझे वन को ले जाए..
नहीं चाहिए देवता या फिर कोई राजा
जो हो अपनी प्रजा का पिता
नहीं चाहिए मुझे कोई खास
मुझे तो चाहिए
जो सिर्फ मेरे लिए हो खास..
जिसके साथ बारिश में भीग सकूं
चौपाटी पर गोलगप्पे खाऊं साथ-साथ
जिसे ना छुपना पड़े मीडिया से
जो ना हो पब्लिक फेस
ना हों जिसकी लाखों दीवानी
मुझे तो चाहिए कोई आम सा लड़का
जो सिर्फ मेरे लिए हो खास..
जो सिर्फ मेरे लिए हो खास…