ऐसी होती है स्ट्रॉन्ग वूमेन
Strong women वह होती है जो अपनी पर्सनाल्टी इंप्रूव करती है और एक क्वालिटी लाइफ की मल्लिका बनती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप वर्किंग ही हों। हाउस वाइफ भी strong women हो सकती है।
खुद को कमजोर ना समझें
हमारा समाज और हमारे आसपास का माहौल ने चीख-चीखकर बचपन से हमारे दिलो-दिमाग में यह बात बिठा दी है कि औरतें कमजोर होती हैं। हम मानसिक रूप से इस बात में इतना रच बस गए हैं कि वाकई औरतें कमजोर हो गई हैं, या यूं कहें हमने अपनी ताकत को बिना पहचाने खुद को कमजोर मान लिया है। अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे ऐसा कोई फील्ड नहीं है जहां औरतों ने अपना परचम ना लहराया हो। इनकी संख्या कम है क्योंकि हमने कभी कोशिश ही नहीं की पहले से ही हार मान कर बैठे हुए हैं। सच तो यह है कि औरत, मर्द से किसी मामले में कमजोर नहीं है।
परफेक्ट बनना छोड़ें
खुद को ओवर जज करना या परफेक्ट बनाना छोड़ना पड़ेगा। लड़कियां होश संभालने के साथ ही परफेक्ट बनने की कोशिश करने लगती हैं। परफेक्ट बेटी, परफेक्ट बहन, आदर्श मां, आदर्श बहू बनने की इच्छा किसी मेडिसिन की तरह हमें इतना पिलाया जाता है कि हम सब भूलकर आदर्श बनने का प्रेशर लाद लेते हैं। आदर्श बनने का ये डोज सब कुछ भुला देता है। हम खुद को भी भूल जाते हैं, खुद के अधिकार, खुद के लिए आराम सब छोड़कर बस रात-दिन यही सोचते हैं कि मैं यह करूंगी तो अच्छी मां, अच्छी बहू, अच्छी बेटी हो पाऊंगी। अगर किसी दिन तबीयत खराब हो और बच्चे को ब्रेड जैम दे देते हैं दो खुद गिल्ट ओढ़ लेते हैं क्योंकि समाज ने गलत मैसेज के जरिए औरत को प्रेशराइज किया हुआ है। और उस प्रेशर में हर औरत बेस्ट परफॉर्म करना चाहती है और खुद को इग्नोर करती रहती है।
महिलाओं ने समाज, परिवार, मायका, ससुराल सब जगह यही देखा है और सीखा भी है।
खुद को नेगेटिव जज करना, खुद से नेगेटिव सवाल करना छोड़ना होगा। हमें नई पीढ़ी को एक नया मैसेज देना होगा। एक स्ट्रांग वूमेन बनना होगा पुरानी परंपराओं को छोड़कर आगे बढ़ना होगा और नए समाज की नींव रखनी होगी। खुद की पर्सनैलिटी एबिलिटी के प्रति कॉन्फिडेंट रहना होगा कि सिचुएशन के हिसाब से हमने जो किया वह बेस्ट है। किसी को प्रूफ करने की जरूरत नहीं है। आप कैसे हैं, क्या हैं, कितनी अच्छी हैं।
आ बहन चुगली करने से बचें
चुगली और बुराई करने वाले ग्रुप से बचें। ऐसे ग्रुप विकसित करें जिसके साथ आप अपनी लाइफ शेयर कर सकें, कुछ सीख सकें। चुगली करने वाले ग्रुप में बैठकर आप अपनी पर्सनैलिटी खराब कर रही हैं और उसका असर धीरे-धीरे आपके घर और आपके बच्चों पर भी पड़ता है। सीखने-सिखाने के लिए बहुत सारी बातें हैं जिसमें इंटरेस्ट लेकर आप अपनी पर्सनैलिटी इंप्रूव कर सकती हैं। जिससे आपका कॉन्फिडेंट भी बढ़ेगा।
औरत के पेट में बात नहीं पचती!
अगर आप वाकई स्ट्रांग बनना चाहते हैं तो गांठ बांध लें किसी का सिक्रेट किसी और को शेयर नहीं करेंगे। अगर किसी ने अपनी पर्सनल लाइफ, अपना दुख आपसे शेयर किया है तो उसका विश्वास मत तोड़ें, उसका विश्वास बनाए रखें। सही मायने में आप तभी स्ट्रांग वूमन कहलाएंगी, अगर आप खुद को भरोसे के लायक बनायेंगी। और भूल कर भी अपने सीक्रेट सबके साथ शेयर ना करें। जब आपको पूर्णतया किसी पर विश्वास हो जाए आपको लगे कि आपकी अच्छी बन रही है वह आपका विश्वास नहीं तोड़ेगी तभी आप अपना सीक्रेट बताएं।
हीन भावना से बचें
अपने मन में किसी भी तरह की हीन भावना को घर करने ना दें। जैसे- मैं खूबसूरत नहीं हूं, मेरा रंग साफ नहीं है, मेरा कद छोटा है, आप जैसी भी हैं खुद को स्वीकार करें। शरीर की बनावट कोई मायने नहीं रखता। अगर आप दूसरे के शरीर से अपने शरीर को कंपेयर करेंगे या फिर सामने वाले को उसके शारीरिक रचना के हिसाब से जज करेंगी तो कभी भी खुद को स्वीकार नहीं कर पाएंगी।
Strong women खुद को या किसी को कभी भी बॉडी के हिसाब से जज नहीं करती। अगर आपको खुद को स्वीकार करना है तो बॉडी शेमिंग से बाहर आना होगा। जितनी जल्दी हो सके इस तरह की सोच से बाहर निकलिए।
रोना कमजोरी नहीं
रोने का मतलब कमजोर होना नहीं होता। स्ट्रांग पर्सनैलिटी रोकर अपना दुख प्रकट कर लेते हैं पर कमजोर लोग अपने इमोशन को दबा लेते हैं। स्ट्रांग पर्सनैलिटी के लोग रोकर अपना स्ट्रेस कम करते हैं पर हर किसी के सामने नहीं रोते। जब बहुत स्ट्रेस लगे तो अपने कमरे में खुद को बंद कर कर लें और रो लें आपको अच्छा महसूस होगा। जी भर कर रो लें, खुद के आंसू पूछें, चेहरा धोएं, फेस मॉइस्चर करें और पानी पीकर अपने रूटीन लाइफ में लग जाएं। strong women आंसू पोछने के लिए किसी का इंतजार नहीं करती।
अगर बहुत तेज गुस्सा आ रहा हो आप उसे किसी पर निकाल नहीं पा रहे हैं तो उसे भी दबाने की बजाए कहीं किसी निर्जीव चीज पर निकाल दें। कोई बुक फाड़ दें, प्लेट तोड़ दें पर गुस्सा को अपने अंदर जब्त ना करें। फ्रस्ट्रेशन और एंगर को जब भी फील करें तो जी भर कर रो लें, रोकें मत।
बेहतर बनने की रेस में शामिल ना हो
किसी और से खुद को कंपेयर मत करें और उससे बेहतर बनने की कोशिश ना करें। आपको खुद से कंपेयर करना है और खुद को बेहतर बनाना है। दूसरी फीमेल को सपोर्ट करें, बेहतर बनाने की कोशिश करें, किसी को कंफर्ट फील करवा कर भी आप उसकी हेल्प कर सकती हैं। किसी को अगर इमोशनल सपोर्ट की जरूरत है तो आप उसे भी हेल्प कर सकती हैं। मेल हमेशा एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं पर फीमेल ननद, सास, देवरानी, जेठानी सब एक दूसरे को अगर सपोर्ट करने लगे तो वाकई सब वूमेन स्ट्रांग हो जाएगी।