पेट में धड़कता दिल

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वह धड़क रहा था मेरी धड़कनों में

वह ले रहा था सांसें मेरी सांसों के साथ

बढ़ गई थी मेरी भूख

मैं खाने लगी दो लोगों का खाना

 बढ़ता जा रहा था मेरा शरीर

और मेरे शरीर के अंदर स्नैः-स्नैः बढ़ रहा था वह भी

सब खुश थे बहुत अच्छा था सब कुछ

मेरा बढ़ता वजन, मेरा फैलता शरीर

मानो मैं इंसान से गुब्बारा हो गई हूं

मेरा फैलता शरीर दे रहा था सबको सुकून

सबके चेहरे पर थी खुशी और थी मैं भी बहुत खुश

 अब वह सांस, वह धड़कन आ गई जमीन पर

तो सबकी निगाहें मेरा आकार देखती हैं

मिलते हैं परिचित अगर तो यह नहीं पूछते कि कैसी हो

पूछते हैं कि तुम कैसे ऐसी हो गई

मुस्कान के साथ कह देना चाहती हूं

सिर्फ शरीर ही नहीं आत्मा तक बदल गई है

एक लड़की मां बन गई है

परिपक्व हो गई है

गढ़ रही है भविष्य

कहां है सुध खुद की

अब फिर से नहीं ला सकती वह मासूमियत

वो अल्हड़ता, वो शोखियां, वो अदाएं

बच्ची बनकर बच्चों को पाला नहीं जा सकता

 सृजन करने के लिए वह भूल गई है

अपने शरीर का आकार

तुम भी भूल जाओ उसके शरीर की संरचना

अब देखो

जो संरचना वह बना रही है

गढ़ रही है भविष्य

आने वाले कल के लिए

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