मुलाकात
कभी सोचा ना था यूं अचानक फिर तुमसे मुलाकात होगी। मैं एक कोने में बैठा हुआ अपने बेटे के लिए ताली बजाऊंगा और तुम अपने बच्चों के लिए। हमारे ख्वाब में तो हमारे बच्चों की जगह मेरा बच्चा होगा, है ना।
हॉल में खचाखच भीड़ थी। स्टेज पर मेरा बेटा परफॉर्म कर रहा था।
उसके साथ एक लड़की भी थी। मैं बिना पलक झपकाए अपने बेटे का नाटक देख रहा था। अचानक से एक स्त्री फोटो खींचने के लिए मेरे सामने खड़ी हो गई, बहुत तेज गुस्सा आ रहा था मुझे। जब वह पीछे मुड़ी मेरा गुस्सा गायब हो गया क्योंकि यह चेहरा कैसे भूल सकता था मैं। यह तो मनीषा थी।
वो मनीषा जो कभी मेरे बाइक पर पीछे बैठकर मेरी शान बढ़ाती थी। ऑफिस आते-जाते हम साथ-साथ होते थे। और घंटो लगातार बिना रुके बातें किया करते थे। अच्छी तो वो मुझे भी लगती थी, पर शादी का ख्याल मेरे मन में नहीं था परंतु मनीषा मुझे लेकर बहुत ही सीरियस थी।
मैं इन सब बातों से अनजान ही रहता अगर एक दिन आंटी ने मुझसे मनीषा के साथ शादी के लिए नहीं पूछा होता। यह बात उन दिनों की है जब मेरी नई-नई नौकरी लगी थी और हम तीन दोस्त एक ही थ्री-BHK फ्लैट के अलग-अलग कमरे में रहा करते थे।
महानगर की भागदौड़ में साथ बैठकर बातें करने का मौका बहुत कम मिलता था। एक दिन रविवार को हम सब बैठ कर बातें कर रहे थे कि मैंने अपने दोस्तों से कहा- मेरी ऑफिस कलिग मेरे साथ ही आती-जाती है। कुछ दिन पहले उसकी मम्मी मुझसे शादी के लिए पूछने लगी पर मेरे मन में उसके लिए ऐसे फीलिंग नहीं है। मुझे तो अपने पेरेंट्स के पसंद की लड़की से शादी करनी है। कौन है, कैसी है, क्या नाम है उसका? दोस्तों ने सवालों की झड़ी लगा दी।
मैंने कहा- मनीषा। मेरा इतना कहना था कि अशोक उसकी सारी जानकारी देने लगा। मसलन वह कहां की है, कहां से पढ़ी है, वगैरह-वगैरह। मेरा मुंह आश्चर्य से खुला था। मैंने पूछा- तुम कैसे जानते हो उसे? अशोक ठठाकर हंस पड़ा।
अरे मेरी क्लासमेट है और कॉलेज के दिनों में मेरी गर्लफ्रेंड रह चुकी है। विश्वास ना हो तो मेरा नाम बताना वो खुद ही कुछ नहीं कहेगी तुम्हें शादी के लिए… डर जाएगी बेचारी।
अशोक ने शान दिखाते हुए कहा। इतनी देर से खामोश और चिंतित बैठा वरुण अचानक से उठा और उसकी फोटो ले आया क्या तुम लोग इसकी बातें कर रहे हो? अब मैंने अशोक की तरफ देखा और अशोक ने मेरी तरफ।
हम दोनों ने एक साथ कहा- हां! वरुण गुस्सा हो गया तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह की बातें करने की। हम दोनों चुपचाप थे। लगातार वरुण को देखे जा रहे थे इसे क्या हुआ यह कैसे जानता है इसको। वरुण बहुत गुस्से में था तुम्हें शर्म नहीं आती कुछ भी बोलते जाते हो किसी के बारे में। इसकी फोटो आई है मेरे पास शादी के लिए और मेरी शादी भी होने वाली है। वरुण फिर मेरी तरफ मुखातिब होकर बोला-और तुमको क्यों बोलेगी शादी के लिए… जब उसका रिश्ता मेरे साथ पक्का होने वाला है। तुम घुमा रहे हो उसको अपनी बाइक पर… खबरदार! आज के बाद उससे मिला तो अच्छा नहीं होगा!
मुझे धमकाने के बाद वरुण अशोक की तरफ मुड़ा और बोला- तुम अपनी क्लासमेट के बारे में ऐसी बातें करते हो उसे अपनी गर्लफ्रेंड कहते हो तुम्हें भी शर्म नहीं आती?
जाने क्यों वरुण उसको लेकर बहुत ही भावुक था। शादी के लिए जितनी लड़कियों के फोटो आए थे उसमें से उसने मनीषा को पसंद कर लिया था क्योंकि वह सबसे सुंदर और क्वालिफाई थी। इसलिए वह मन ही मन उसे पसंद कर चुका था और सोच रहा था उसी से शादी करेगा।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुंचा तो मनीषा से बचने की कोशिश कर रहा था और एक वह थी कि बार-बार मेरे सामने आने की, मुझसे बात करने की कोशिश कर रही थी। आखिर उसकी कोशिश कामयाब हो गई उसने छुटते ही सवालों की झड़ी लगा दी- तुम मुझे अनदेखा क्यों कर रहे हो? मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे?
मैंने अनमना सा जवाब दिया – यार बिजी हूं और कुछ नहीं।
अच्छा! बोलकर वह पैर पटकती हुई वहां से चली गई। मैं ऑफिस की कैंटीन में चाय पी रहा था कि मनीषा वहां आ गई। मैं वहां खड़े अपने कलिग से बात करने में मशहूल हो गया, जैसे मैंने उसे देखा ही नहीं। वह चाय लेकर सीधे मेरे सामने वाली टेबल पर बैठ गई अब मेरे पास कोई दूसरा चारा नहीं था। मैंने नजर मिलते ही हल्की स्माइल अपने होठों पर ओढ़ ली, इतना काफी था उसका गुस्सा शांत हो गया। वह अपना कप लेकर मेरी टेबल पर आ गई। थोड़ी देर बाद मेरा कलिग वहां से चला गया.. मैं भी उसके साथ जाने लगा पर मनीषा ने मुझे रोक लिया।
मैं बैठ तो गया पर चुप था और लगातार नीचे देख रहा था। मनीषा ने बोलना शुरू किया अगर तुम्हारी लाइफ में कोई है तो कोई बात नहीं। मम्मी की बात का बुरा मत मानो, वह तो बस ऐसे ही कुछ भी बोलती हैं। उनको मेरी शादी की चिंता है और तुम उन्हें बहुत पसंद हो। वह हमेशा तुम्हारी तारीफ करती हैं कि तुम बहुत अच्छे हो।
मैं इधर-उधर देखते हुए बोला- नहीं मेरी लाइफ में कोई नहीं है पर मैं अपने पैरेंट्स की पसंद की लड़की से ही शादी करूंगा। तुम अच्छी हो पर अदर कास्ट का प्रॉब्लम है। वह नहीं मानेंगे। थोड़ी देर वहां खामोशी पसरी रही।
मैंने पूछा तुम्हारी शादी तो कहीं तय हो गई है ना, वह थोड़ा चौंकी और चौकती हुई सी बोली- नहीं तो। बात आगे बढ़ाते हुए मैं बोला वरुण मेरा रूममेट है उसके पास तुम्हारी फोटो है।
वह थोड़ी देर चुप रह कर बोली- पर वह मुझे पसंद नहीं है, आज पता नहीं क्यों मेरे ऑटो के पीछे-पीछे आया था और कितनी बार जब भी मैं फील्ड वर्क के लिए बाहर निकलती हूं वह मेरा पीछा करता है। बहुत ही इरिटेटिंग है।
मैं चुपचाप सुन रहा था। वह थी कि लगातार वरुण की बुराई कर रही थी। खैर! बात आई-गई खत्म हो गई।
मैंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली। आज 20 साल बाद हम एक ही हॉल में बैठकर ताली बजा रहे थे। प्रोग्राम खत्म हुआ और मेरी निगाहें मनीषा को ढूंढने लगी। मैं तेज कदमों से चलता हुआ मनीषा के पास पहुंच गया। वह भी मुझे देख कर ठिठक गई। हेलो कैसी हो? मैंने पूछा।
ठीक हूं। उसने धीरे से कहा। तुम्हारे बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं? हां! मैंने कहा।
अभी हम बातें कर ही रहे थे कि मेरी पत्नी वहां आ गई। मैंने दोनों को एक दूसरे से मिलाया फिर मैंने पूछा- अभी क्या कर रही हो, पति कहां हैं? वगैरह-वगैरह।
मैं यह सुनकर चौक गया कि आज भी वह उसी कंपनी में नौकरी कर रही है जिस कंपनी में मैंने उसे नौकरी दिलाई थी। अभी हम बातें कर ही रहे थे कि हमारे बच्चे भागते हुए आ गए और अपने पैरंट्स से परिचय करवाने लगे। मैं और मनीषा एक दूसरे की आंखों में देख कर मुस्कुरा रहे थे, मानो एक-दूसरे से कह रहे हों अब हम नहीं हमारे बच्चे दोस्त बन गए हैं और पास ही खड़ी मेरी पत्नी की आंखें मुझे घूर रही थी अच्छा तो यही मनीषा है?