…ताकि फैशन के दौर में बचा रहे संसाधन
हम आधुनिक हो गए हैं और स्टाइलिश भी। इतने स्टाइलिश कि मार्केट में आनेवाली हर चीज पर अपनी पैनी निगाहें जमाए बैठे हैं। मार्केट में कुछ नया आया नहीं कि घर की चीजें आउटडेटेड हो गईं। उसे घर से बाहर निकाल फेंको। इतना ही नहीं बाजार में बिकने वाली उटपटांग चीजें हम बिना सोचे-समझे उठा लाते हैं। उसका उपयोग क्या है? यह सोचे बिना कि हमारे घर में भीड़ इकट्ठी तो नहीं कर रहे है हम। शॉपिंग करना आज का फैशन है। शॉपिंग करना सुकून है। यह हमारी लत बन गई है। खाली टाइम में क्या करें, चलो कहीं बाहर चलते हैं, जैसे तमाम बहाने से बंधे हम चल देते हैं उल्टी-सीधी हरकतें करने। क्या कभी सोचा है हमारी यह गलती हम पर भारी पड़ सकती है।
प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं हम। इन संसाधनों की सीमा रेखा तय है पर संसाधनों के प्रति हमारे लगाव की कोई सीमा रेखा नहीं। आखिर कब तक और कितना वक्त लगेगा इसे खत्म होने में, अगर हम खुद को रोके नहीं…
नए-नए फर्नीचर, नए पर्दे, टिशू पेपर, कपड़े जैसी तमाम चीजें हम बहुत आसानी से डिस्कार्ड कर देते हैं। हम यह नहीं सोचते इसमें यूज होने वाली प्राकृतिक चीजों का एक लिमिटेशन है। हम अपनी प्रकृति का नुकसान कर रहे हैं। मार्केट और मार्केट में बैठे दलाल बहुत आसानी से हमें यह शिक्षा देते हैं कि 5 साल तो ये आराम से चल जाएगा। उसके बाद आप नया इंटीरियर तो करवाएंगे ही।
जानते हैं ऐसा क्यों? क्योंकि… वह सब पुरानी और सड़ी-गली चीजों से तैयार किया जाता है। जिसकी उम्र चाहकर भी 5 साल से ज्यादा नहीं हो सकती वह कोई एंटीक पीस नहीं बेच रहा आप एंटीक पीस खरीद कर देखें, वह महंगी भी होगी, उसकी वारंटी भी होगी और वह कभी out of fashion नहीं होता। क्योंकि वह वास्तव में प्राकृतिक चीजों से बनी होती हैं।
अगर हम बार-बार डिस्कार्ड होने वाली चीजों से बचें तो सही मायने में हम प्रकृति प्रेमी हैं क्योंकि बार-बार चीजों को बदलते रहकर हम अपनी प्रकृति का नुकसान करते हैं। इसलिए कोशिश करें किसी भी सामान का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें उन्हें बेकार मानकर फेंकने से बचें क्योंकि निर्माण करना इतना आसान नहीं होता, चाहे वह कोई छोटी चीज हो या बड़ी इसका मतलब यह नहीं कि आप कंजूस हैं आप सचेत और सतर्क हैं प्रकृति के प्रति। आप कुछ बचाना चाहते हैं आने वाले पीढ़ी के लिए, बिजली-पानी के साथ-साथ घर में घर में उपयोग होने वाली हर चीजों की बचत करें। मैं हमेशा इसलिए कहती हूं दिखावे से बचें क्योंकि दिखावा बर्बादी का पहला चरण है।