कहानी जिंदगी की…

0
WhatsApp Image 2023-07-04 at 7.53.29 PM

यह कविता मैंने अपने छोटे चाचा के लिए लिखी थी। मैं 12th में थी इस घटना ने मुझे अंदर तक बहुत तोड़ दिया था। चाची जी का रोता चेहरा मुझे बार-बार दहला जाता जिंदगी का ये कड़वा सच मेरे सामने था मेरे अंदर उथल-पुथल मची हुई थी, मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे कुछ सवाल के जवाब मैंने पापा से पूछे और कुछ सवाल के जवाब मैंने खुद को खुद ही दिए।  इस कविता मैंने अपनी वही भावनाएं प्रकट की हैं…

हमने तो सदा इसी शरीर से किया था प्यार

जहां ने भी देखा इसे ही

है कितनी सुंदर ये आंखें… ये चेहरा!

सुडौल है शरीर,

है कितनी सजीला… सारी उम्र जतन से इसे रहे सजाते

लाखों किए खर्च और इसी के लिए कमाते…

खरीदते रहे कपड़े हमेशा नये दौर के,  

हो कर लिप्त फिक्र नहीं की औरों की…  

पर आत्मा को अपने नहीं कभी सजाया

ना ही खुद को कभी प्यार से सहलाया

सजा कर खुद को होते रहे संतुष्ट

कोई गम नहीं अगर हो जाए आत्मा को कुष्ट

आज यह पार्थिव शरीर पड़ा है

आत्मा देख रही संसार कहता मरा है….

जिसने भी किया था प्यार इस शरीर से,

जीत नहीं पाया वह भी हाथों की लकीर से,

क्यों आज उसी ने इस प्यारे शरीर को जला दिया

सबने तो सदा इससे ही प्यार किया….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *