यह कविता मैंने अपने छोटे चाचा के लिए लिखी थी। मैं 12th में थी इस घटना ने मुझे अंदर तक बहुत तोड़ दिया था। चाची जी का रोता चेहरा मुझे बार-बार दहला जाता जिंदगी का ये कड़वा सच मेरे सामने था मेरे अंदर उथल-पुथल मची हुई थी, मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे कुछ सवाल के जवाब मैंने पापा से पूछे और कुछ सवाल के जवाब मैंने खुद को खुद ही दिए। इस कविता मैंने अपनी वही भावनाएं प्रकट की हैं…