कविता दो रास्ते… Priti Prakash January 12, 2024 0 जिन्दगी के हर कदम पर दो रास्ते होते हैं। एक अच्छा और दूसरा बुरा। गलत रास्ता हमेशा सफेद, रेशमी अप्सरा सी होती है पर गलत रास्ते पर चलते हुए भी आपको एक हाथ, एक साथ हमेशा मिलता है… वो सफेद रेशमी अप्सरा धीरे-धीरे अपना रंग बदलने लगी पहले गुलाबी हुई फिर खूनी लाल और अब स्याह सी काली जहां उसकी दो आंखें बल्ब सी जलती रहीं फिर वो आंखें भी बुझ गईं आंखों के बुझते ही वो विलीन हो गई एक तेज के साथ प्रकट हुए वहां देव होठों पर बिखेरते मुस्कान वहां एक भीनी-भीनी सी सुगंध घुलती रही उस मीठी सुगंध ने सारे दुख सारी बेबसी हर ली मुस्कान बिखेरते ये देव धीरे-धीर मूर्ति बनकर मेरे आंगन में स्थापित हो गए Post navigation Previous: टीस…Next: नए साल का मंजर More Stories कविता “तुझ में नयापन” Priti Prakash November 21, 2025 0 कविता “बेगानी हवा” Priti Prakash November 21, 2025 0 कविता “तुम बिन” Priti Prakash November 21, 2025 0 Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.