“घर की लक्ष्मी देवी”
दुर्गा पूजा शुरू होते हीं देवियों की पूजा शुरू हो जाती हैं।
हर घर का माहौल बदल जाता है, महिलाएं भक्ति भाव में सराबोर होकर नवरात्री के 9 दिन का उपवास रखती है, कन्याभोज करती है, घर की साफ – सफाई और पवित्रता का ध्यान रखती है। देवियों की 9 दिन की इस पूजा में मां लक्ष्मी की भी पूजा होती है पर धूमधाम से मनायी जाने वाली “मां लक्ष्मी” की “दिवाली” अभी दूर है।
इस बीच एक ग्लैमर त्योहार आता है जिसे “करवा चौथ” कहते हैं। जिसमें सरगी और गिफ्ट का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है।
यह उपहार बहू अपनी सास को, और सास अपनी बहू को देती है।
जिसमें कपड़े, गहने के साथ-साथ श्रृंगार का समान और मिठाइयां भी होती है। यह घर की औरतों का आपस में प्यार बढ़ाने का एक बहुत ही खूबसूरत परंपरा है। आज सास, बहू, देवरानी या जेठानी कोई भी साथ नहीं रहती तो यह परंपरा दंपति युगल ने आपस में निभानी शुरू कर दी। आज की तारीख में करवा चौथ को रील्स बनाने का और उपहार पाने का पर्व कहा जाने लगा है।जो कुछ हद तक सही भी है पर सोै फ़ीसदी सच नहीं है। लक्ष्मी पूजा से पहले होने वाली इस पूजा में अगर घर की लक्ष्मी को कुछ उपहार देकर खुश कर भी दिया जाए, तो क्या दिक्कत है… और क्यों… जब लक्ष्मी पूजा के नाम पर लाखों रुपए के पटाखे आग में जला दिए जाते हैं तो कोई दिक्कत नहीं होती। तो फिर घर की लक्ष्मी के समर्पण, त्याग और प्रेम के बदले अगर छोटा सा गिफ्ट दे ही दिया जाता है तो इतना बवाल क्यों….
Priti kumari