परिवर्तन
यह उन दिनों की बात है जब हम कॉलेज में पढ़ा करते थे। हमारे दोस्तों की शादियां शुरू हो चुकी थी।
हमारे पास इतनी आजादी नहीं थी कि हम सब की शादी में शामिल हो पाए, जो फैमिली फ्रेंड्स होते थे उनके यहां तो शादी में जाने की स्वीकृति थी। कुछ फ्रेंड्स जिसके पेरेंट्स हमारे पेरेंट्स को नहीं जानते थे, उनके यहां जाने की इजाजत नहीं होती थी।
पर शादी तो शादी होती है।
उसमें होने वाले तमाम ताम-झाम, साज- श्रृंगार देखने को मन उतावला रहता था, यह हमारे माता-पिता को कौन समझता।
तो इसका एक ही सॉल्यूशन था शादी का एल्बम (फोटो) देखना, शादी के एल्बम और फोटो का बहुत क्रेज था उन दिनों । अब शुरू होती थी दोस्तों के साथ प्लानिंग कि कब सबके पास टाइम हो और एक साथ उसके घर धावा बोला जाए।
शादी ना सही शादी के एल्बम से ही जायजा लिया जाए की शादी कैसी थी, दूल्हा दुल्हन कैसे थे, उनके कपड़े आदि आदि…
जो कोई शादी में शामिल होता था तो उसका तो पूछिये मत वो मन ही मन अपनी तस्वीर भी ढूंढता
था पर अधिकतर निराशा का दामन ही थामना पडता था, कभी कभार, इक्का दुक्का, तस्वीर दूर से दिख जाती थी अगर फ्रेंड के साथ कहीं किसी ग्रुप में दिख गई तो मन चाही मुराद पूरी हो गई
आजकल ये सब कोई प्राचीन काल की बोरिंग कहानी लगती है।
इन कुछ सालों में वक्त इतनी तेजी से बदला कि, आज तो हम, सब लाइव देख सकते है इसलिए ना कोई उत्सुकता बची है ना कोई उतावलापन ।
सेल्फी ने तो सब को खुद पर केंद्रित कर सेल्फ लव को तबज्जो दे दिया है।
किसी सेलिब्रिटी के function को लेकर आज भी आम लोगों में थोड़ा क्रेज दिख जाता है पर वो तस्वीरें भी पल में वायरल से बोरिंग हो जाती है।
खैर आने वाली पीढ़ी के लिए तो शादी और शादी की जिम्मेदारी ही बोरिंग और स्वतंत्रता का हनन है. ..
कोई ना, इन मॉडर्न पीढ़ी को देखने के लिए अभी जिंदगी तो बाकी है ना… 
Priti kumari