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समुद्र में पलने वाली छोटी सी बूँद की खता,
विशाल आसमां से लेती है दिल लगा!
दौड़ती, मचलती, चलती जाती है अनंत दूरियां,
नजरें उठा बार बार देखती, पास ना पहुंच पाने की मजबूरियां!
हेेै छोटी मगर इतराती, इठलाती तोड़ती है पत्थर और खिलखिलाती है.।
कभी मचलते हुए नौका डुबोती है
जोश में आ पहाड़ से टकराती है
बघारती हैं शान, नजरें उठा देखती आसमां!
बादल 💨
इंतजार, इंतजार है खत्म हो जाता,
आकर आसमां की तपिश उसे संग अपने ले जाता,
खो कर अपना अस्तित्त्व आसमां ही जाती है बन
सच्चाई समझती, ठोस बन खो देती अपना तन मन,
सिसकती, गरजती, बँधी है…. ना मचलना, ना इठलाना,
होती निराश, बारम्बार टकरा कर बिखरती और बरसती
और पुनः बन जाती है छोटी सी बूँद

Priti kumari

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