रंग-बिरंगी तितलियां

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बहुत समय पूर्व तितलियां स्वर्ग में रहा करती थीं।

तितलियां स्वर्ग में इठलाती-इतराती इधर-उधर घूमती रहती। उनका रंग एकदम दूध की तरह सफेद था मानो कोई गलती से छू दे तो मैली हो जाए।

कहते हैं जिस प्रकार धरती पर स्वर्ग की बातें होती हैं ठीक उसी प्रकार स्वर्ग में धरती के बारे में बातें होती थीं। यहां के बहुत से रंग के बारे में अक्सर बातें होती थी। सफेद तितलियों का मन बार-बार धरती के रंगों की तरफ खींचता था। एक बार तितलियों ने हिम्मत करके देवताओं से धरती पर जाने की अनुमति ले ली। जब सफेद तितलियां यहां आईं तो दंग थीं यहां के पेड़-पौधे रंग-बिरंगे फूलों ने इनका मन मोह लिया। फूलों संग खेलते नन्हे-नन्हे बच्चे, चिड़ियां, पृथ्वी के जानवर सब उनके लिए अजूबा था। उन्हें धरती और यहां फूलों के रंगों से मोह हो गया और मोह इस कदर बढ़ता गया कि वो भूल गईं कि वो स्वर्ग से यहां आई हैं। यूं ही दिन गुजरते चले गए एक दिन देवताओं को गुस्सा आ गया। देवता तितली के सामने प्रकट हुए तो तितलियों का पसीना छूट गया। वे माफी मांगने लगीं पर भगवान बहुत क्रोधित थे उन्होंने तितलियों को शाप दिया कि जिस रंग के मोह में तुम स्वर्ग को भूल गई हो वह सारे रंग अब तुम्हारे शरीर का हिस्सा बन जाएंगे और तू अपना असली रंग खो दोगी और तुम्हें धरती पर ही वास करना पड़ेगा।

तितलियां गिड़गिड़ाने लगीं। भगवान हमें माफ कर दो, हम धरती पर क्या करेंगे हमारा तो यहां कोई काम भी नहीं है। यहां जितना रंग देखना था देख लिया अब आपके साथ वापस जाना चाहती हूं पर देवतागण नहीं माने।

 

अब इन तितलियों के पंख जड़ हो गए थे वह चाह कर भी स्वर्ग नहीं पहुंच सकती थीं जिस रंग को देखने के लिए वह आई थीं अब उन रंगों से उब सी होने लगी थी। निठल्ले बैठी-बैठी बोर हो जाती। अंततः उन्होंने पवन देव की आराधना शुरू की जब पवन देव प्रसन्न हुए तो उन्होंने यह वरदान दिया कि तुम दोबारा उड़ सकोगी लेकिन स्वर्ग तक पहुंच नहीं पाओगी और रंग बिरंगे फूलों को के परागण को अपने पैरों की सहायता से एक दूसरे में ट्रांसफर करके तुम फूलों का रंग परिवर्तन करने में सहायक बनोगी। ऐसा माना जाता है पवन देव की ओर से दी गई जिम्मेदारियां वह आज भी बहुत अच्छे से निभा रही हैं और धरती पर फूलों का रंग बदलने में मददगार बन रही हैं।

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