एक सच
आजकल एक ट्रेंड बहुत तेजी से चल रहा है और बहुत तेजी से फल-फूल भी रहा है कि हमें सबके साथ मिलकर रहना चाहिए… इस चक्कर में लोग सही और गलत को भूल गए हैं या यूं कहें कि सही और गलत का साथ देना भूल गए हैं…. वे किसी के लिए भी सच नहीं बोल पाते और सब को अपना बनाना चाहते हैं इसी वजह से समाज में कोई किसी का अच्छा मित्र नहीं बन पा रहा है और ना ही किसी को कोई अच्छा मित्र बना पा रहा है… हम दोस्ती उससे नहीं करते जिससे हमारा मेंटल लेवल मिलता है। हम उससे दोस्ती करते हैं जिसका स्टेटस ऊंचा है, जिसके घर में महंगी चीजें हैं, जिसके बच्चे हाईफाई स्कूल में पढ़ते हैं। हम उसे ही अपना दोस्त बनाते हैं, भले ही वह हमारे सुख-दुख में भागीदार बने ना बनेसब से मिलकर रहना गलत नहीं है, मैं ये नहीं कहती कि सबके साथ लड़ना चाहिए पर हां जिंदगी में कुछ दोस्त ऐसे होने चाहिए जो हमारे सुख-दुख को अपना सुख-दुख समझें… और अगर जरुरत पड़े तो हर हाल में चट्टान की तरह अडिग बनकर साथ बने रहें
धन्यवाद