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तुम्हारे गजरे की खुशबु से जैसे महक जाते हैं तुम्हारे बाल,
ऐसे ही तुम्हारी मुहब्बत में,
मै महकना चाहता हूं,
हर हाल..
नासिका की ग्रंथी मे जैसे बसी होती है प्रेम की गंध,
ऐसे ही मैं भी बसना चाहता हूँ,
तुम्हारे संग, बनकर तुम्हारे दिल के छंद…
लगकर काजल जैसे और भी गहरा बना देती है तुम्हारी आँखे…
ऐसे ही तुम्हारी मुहब्बत की गहराई में और भी गहरा उतरना चाहता हूं, बनकर तुम्हारी सासें…