वफाई का सच तुम क्या जानो…

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मेरे नाम से जोड़कर, अपना नाम गर ऊंचा होता है तेरा कद…

तो भूलना मत… मेरे नाम और काबिलियत के पीछे मेरे पिता का नाम है।

तुम्हारी चाहत ठुकराई है मैंने फिर भी आज यह कविता तुम्हारे नाम है।।

मेरे शब्द तब भी चुभते थे तुम्हें और आज भी चुभेंगे..

मैं बेवफा थी तब भी और आज भी हूं बेवफा…

क्योंकि मेरी वफा मेरे पिता के नाम है।।

मेरे आशिकों की लिस्ट बहुत लंबी है, यह जानते हो तुम भी

तो क्या हुआ उस लिस्ट में एक तेरा नाम है।।

प्रीति पूनम

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