आए हाय… हिंग्लिश
बात उन दिनों की है जब मेरी बिटिया मात्र 2 साल की थी। मैं अपनी सोसाइटी के पार्क में रोज चली जाती थी क्योंकि वहां मेरा बेटा कराटे सीखता था और बिटिया कभी बच्चों के साथ खेल लेती तो कभी झूले या स्लाइड इंजॉय कर लेती। मेरे दोनों बच्चे मेरी नजरों के सामने होते, कुछ बुजुर्ग भी पार्क में घूमने आया करते। उन बुजुर्ग में एक आंटी जी भी थीं जो अपने पोते के साथ अक्सर आया करतीं।
हम एक दूसरे को कभी स्माइल पास करते तो कभी मैं उन्हें नमस्ते कहती और जवाब में वो खुश रहो कहतीं। एक दिन मैं थकान की वजह से पार्क में ही बेच पर बैठी थी। तभी आंटी जी वहां आईं और मेरे साथ बैठ गईं। मैंने नोटिस किया आंटी जी फर्राटेदार इंग्लिश बोलती हैं और उनका छोटा सा पोता भी।
मैं अपनी बिटिया से बोली जाओ उसके साथ खेल लो। आंटी झट से बोलीं- पर मेरे पोते को तो हिंदी आती ही नहीं।
मेरी स्माइल ब्रॉड हो गई मैं समझ गई थी कि इनके घर के लोग आपस में इंग्लिश में ही बात करते होंगे।
उन्होंने कहना शुरू किया हमारे घर में कोई हिन्दी नहीं बोलता, सब इंग्लिश में ही बात करते हैं। बहू ने strictly मना किया हुआ है। इसलिए मेरा पोता ना तो हिंदी बोल पाता है और ना ही समझ पाता है।
फिर मैंने पूछा आप लोग इंडिया से बाहर रहते हो? वह बोली नहीं तो!
अरे इंग्लिश बहुत जरूरी है लाइफ में आगे बढ़ने के लिए… ब्ला.. ब्ला.. ब्ला…
जब वो चुप हुईं तो मैंने कहा- अब थोड़े दिन में आप इसका एडमिशन तो करवाएंगी ना यहां के स्कूल में? तो फिर अपने घर जैसा माहौल इसको स्कूल में कैसे दे पाएंगी आप? स्कूल की कुछ दीदी या तो हिंदी में ही बात करती हैं या फिर कल को अगर कोई मुसीबत आ जाए तो क्या आप का पोता इंग्लिश भाषी ढूंढ कर उसको अपनी प्रॉब्लम बताएगा? सब्जी वाले, ऑटो ड्राइवर आदि जैसे लोगों से अगर कभी हेल्प लेनी पड़ जाए तो….
आंटी हम भारत में रहते हैं यहां हिंदी बोलना और आना बहुत जरूरी है। आप इंग्लिश सिखाओ पर हिंदी को कमजोर मत समझो।
मैंने देखा है बहुत सारे ऐसे लोगों को जिन्हें ज्ञान ना भी हो फिर भी इंग्लिश बोलकर बहुत प्राउड फील करते हैं मानो वो बहुत ज्ञानी हैं और कुछ लोगों का तो यह कांसेप्ट होता है जिसे इंग्लिश नहीं आती वह मूर्ख है। एक भाषा का ज्ञान किसी के पूरे ज्ञान पर हावी कैसे हो सकता है? यह विचारणीय है।