ये ‘रिश्ता’ क्या कहता है?

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कुछ लोग सफलता की ऊंचाई पर पहुंचते ही अपनी जमीन भूल जाते हैं। उन्हें अपने गरीब रिश्तेदार की पहचान से भय लगने लगता है, उन्हें अपने संस्कार तुक्ष्य लगते हैं। जिन्हें एक तरफ शराब पीना, नंगे डांस देखना भाता है तो दूसरी तरफ प्रणाम् करना दीदी-भैया सुनना अच्छा नहीं लगता। अपने ही छोटे भाई-बहनों से उन्हें डर लगता है शायद उनका यह डर इसलिए होता है कि उनकी उम्र का पता चल जाएगा या फिर उनके रिश्तेदार की पहचान खुल जाएगी।

खैर! डर किसी भी बात का हो पर ऐसे मुखौटे वाले आदमी हमारे समाज में बहुत इज्जत से घूमते हैं। उन्हें आगे बस आगे का रास्ता दिखता है पीछे छूट चुके लोगों को हाथ बढ़ाकर थामना उन्हें बेमानी लगता है।

बहुत प्रोफेशनल होते हैं ऐसे लोग जिन्हें अपनों का दुख नहीं दिखता या वो अपने उस वक्त को भूल चुके होते हैंं जब वो भी कभी साधारण थे ।

उन्हें लाइफ बहुत आसान लगती है वो आपको सीढ़ी बनाकर बस ऊपर चढ़ना जानते हैं पर जरुरत पर आपकी सीढ़ी नहीं बनना चाहते। इनका वक्त बहुत कीमती होता है यह आपके लिए ना पीछे आना चाहते हैं और ना ही रुकना।

पर वक्त किसी का नहीं होता, ना ही खुशी का पैमाना सबका एक सा होता है कुछ लोगों को रिश्तों की भूख होती है तो कुछ को पैसों की। और ऊपर वाला उसके भूख के हिसाब से उसकी किस्मत भी लिखता है।

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