अरे वो शहरी बाबू…
मैं गांव की नहीं हूं मैं शहर में पली-बढ़ी हूं। अरे! बाबा हमका माफी दे...
मैं गांव की नहीं हूं मैं शहर में पली-बढ़ी हूं। अरे! बाबा हमका माफी दे...
मूलांक आठ और उनका चरित्र चुम्बकीय आकर्षण लिए हुए आपका व्यक्तित्व ही आपके जीवन...
मूलांक एक और उनका चरित्र आपका व्यक्तित्व अपने आप में दया भावना से पूर्ण...
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा...
कुछ कहना चाहती हूं तुमसे कुछ नहीं, बहुत कुछ…. पर एक तुम हो, जो सुनना...
मैं होती हूं नींद के आगोश में, और तुम चुपके से आ जाते हो… जाने...
आंखों के समंदर में जो है, दर्द सी मछलियां… मची है खलबली कि अब है...
मैं एक लड़की थी बदनाम! काट खाने को दौड़ता था मेरा नाम!! मैं रो सकती...
सर्दियां शुरू होते ही बच्चों को एक लाल कपड़े और सफेद दाढ़ी वाले सेंटा का...
घटना उन दिनों की है जब दुराचारी रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया...