हमेशा युवा दोषी नहीं…
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा...
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा...
कुछ कहना चाहती हूं तुमसे कुछ नहीं, बहुत कुछ…. पर एक तुम हो, जो सुनना...
मैं होती हूं नींद के आगोश में, और तुम चुपके से आ जाते हो… जाने...
आंखों के समंदर में जो है, दर्द सी मछलियां… मची है खलबली कि अब है...
मैं एक लड़की थी बदनाम! काट खाने को दौड़ता था मेरा नाम!! मैं रो सकती...
सर्दियां शुरू होते ही बच्चों को एक लाल कपड़े और सफेद दाढ़ी वाले सेंटा का...
घटना उन दिनों की है जब दुराचारी रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया...
ये सतरंगी उम्र… जब दुनिया होती है रंगीन… दिखता है चारों तरफ इंद्रधनुष ही इंद्रधनुष...
जिस प्रकार समुद्र की शांति को महज पत्थर के एक टुकड़े से भंग किया जाता...
क्यों मोहब्बत होती है एक स्त्री को सिर्फ पुरुष से या एक पुरुष को स्त्री...