कविता
दो रास्ते…
जिन्दगी के हर कदम पर दो रास्ते होते हैं। एक अच्छा और दूसरा बुरा। गलत...
टीस…
मैं जानती थी तुझे जब मैंने तुझे नहीं देखा था तुम्हारे इंतजार में थी...
मुक्त होने की चाह…
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं….. नहीं चाहती – कोई समाज,...
कहानी जिंदगी की…
यह कविता मैंने अपने छोटे चाचा के लिए लिखी थी। मैं 12th में थी इस...
पीहर हुआ पराया
मायके के दिरखा पर छोड़ आई मैं अपनी बहुत सारी अधूरी ख्वाहिश… छोड़ आई… बचपन...
उलझन
है उलझन बड़ी… मैं अल्हड़ हूं या हूं समझदार। क्यों टूटती नहीं खाकर इतने वार?...
भक्ति की शक्ति
ये तुम्हारे खुदा, ये हमारे खुदा, आ बांट लें हम अपने-अपने खुदा चलो ढूंढ लाते...
बूंद
समुद्र में पलने वाली एक छोटी-सी बूंद की खता लगाकर दिल विशाल आसमां से लेती...
मैं और वो
थी वो एक खुली किताब, पर भाषा उसकी मुझको नहीं आती। वो थी चंचल सी...