कविता
खुदा का अक्स
समंदर की तरह असंख्य प्यार की मोती समेटे... ऊपर से सख्त और अंदर से मोम की तरह पिघलते, कैसा सख्त...
आज यह कैसी आंधी चली है
आज यह कैसी आंधी चली है, कुछ टहनियां झूम रही हैं हवा के साथ.. तो कुछ अकड़ी खड़ी हैं। ...
बेटियां… हमारी बेटियां…
३ दिसंबर, २०२२ यूं तो बेटियों को घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती ! फिर क्यों उन्हें शादी...
नारी तेरी यही कहानी…
पूरा घर सो जाता है जब मैं बिस्तर पर जाती हूं सुबह सपनों में डूबा सारा घर और किचन में...
वफाई का सच तुम क्या जानो…
मेरे नाम से जोड़कर, अपना नाम गर ऊंचा होता है तेरा कद... तो भूलना मत... मेरे नाम और काबिलियत के...
किससे कहूं दिल की बात…?
जीवन की संध्या बेला में गर छूट जाए हम सफर... पत्थरों और कांटों से भरा होता है आगे का...
नीरो की मां…
निर्मोही! नीरो की मां ओ निर्मोही नीरो की मां कहती थी तू... सुहागन मरूंगी मैं आज तू सच और मैं...