वो बदहाल आया है
वो निकलता है हर सुबह सज धज कर… पर वापस निढाल आता है। सोचकर...
वो निकलता है हर सुबह सज धज कर… पर वापस निढाल आता है। सोचकर...
कुछ कहना चाहती हूं तुमसे कुछ नहीं, बहुत कुछ…. पर एक तुम हो, जो सुनना...
मैं होती हूं नींद के आगोश में, और तुम चुपके से आ जाते हो… जाने...
आंखों के समंदर में जो है, दर्द सी मछलियां… मची है खलबली कि अब है...
मैं एक लड़की थी बदनाम! काट खाने को दौड़ता था मेरा नाम!! मैं रो सकती...
ये सतरंगी उम्र… जब दुनिया होती है रंगीन… दिखता है चारों तरफ इंद्रधनुष ही इंद्रधनुष...
क्यों मोहब्बत होती है एक स्त्री को सिर्फ पुरुष से या एक पुरुष को स्त्री...
समंदर की तरह असंख्य प्यार की मोती समेटे… ऊपर से सख्त और अंदर से मोम...
मैं सोचती थी, मां संवेदनहीन है…. नहीं समझती, दोस्तों के साथ होने वाली मस्ती! है...
आज यह कैसी आंधी चली है, कुछ टहनियां झूम रही हैं हवा के साथ.. तो...