खूबसूरत जिंदगी
वह वह दिन भी आ गया जब दोनों को मुंबई वापस जाना था तन्मय आज...
वह वह दिन भी आ गया जब दोनों को मुंबई वापस जाना था तन्मय आज...
मेरे महबूब की महबूबा सुनो, सोचती हूं मैं, तुम कैसी दिखती होगी? जिन आंखों में...
समाज में रहने के लिए क्यों समाज होना पड़ता है? हम क्यों नहीं सिर्फ माता-पिता...
जब भी बहुत प्यार आया तुम पर, तो आई हंसी खुद पर, तुम्हें है जरूरत...
सौ फ़ीसदी औरतें और कुछ प्रतिशत पुरुष की जिंदगी में एक दिन यह अनुभव जरूर...
शादी की रस्में अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि मोहब्बत की रस्में शुरू हो...
देहरी कभी लांघी नहीं, मर्यादा कभी तोड़ी नहीं, फिर भी स्त्री पुरुष के अंतर पर...
नये साल में जाने क्या – क्या बातें होंगी नयी… अधिकार करेगी टेक्नोलॉजी, हम खड़े...
मेरे होने से तीन दशक होता है पूरा! कुछ ऐसे संस्कार जो सीखे हैं अस्सी...
समुद्र में पलने वाली छोटी सी बूँद की खता, विशाल आसमां से लेती है दिल...