desire
चांद पा लेने की चाह
ना मैं पाषाण ना ही पत्थर की मूर्ति हूं मेरे अंदर की भावनाएं भी उछाल मारती हैं पर... चांद पा...
किससे कहूं दिल की बात…?
जीवन की संध्या बेला में गर छूट जाए हम सफर... पत्थरों और कांटों से भरा होता है आगे का...
ना मैं पाषाण ना ही पत्थर की मूर्ति हूं मेरे अंदर की भावनाएं भी उछाल मारती हैं पर... चांद पा...
जीवन की संध्या बेला में गर छूट जाए हम सफर... पत्थरों और कांटों से भरा होता है आगे का...