पीहर हुआ पराया
मायके के दिरखा पर छोड़ आई मैं अपनी बहुत सारी अधूरी ख्वाहिश... छोड़ आई... बचपन की सहेलियां, यादें, और उनके...
मायके के दिरखा पर छोड़ आई मैं अपनी बहुत सारी अधूरी ख्वाहिश... छोड़ आई... बचपन की सहेलियां, यादें, और उनके...
धरा की पुत्री थी वह धरा की ही तरफ सहनशील, क्षमाशील.... मैं हूं एक आम लड़की..... कैसे बन सकती हूं...
मैं होती हूं नींद के आगोश में, और तुम चुपके से आ जाते हो... जाने कैसे बिना आहट के मेरे,...
प्रीति प्रकाश1 दिसंबर, 2022मुहब्बत... एक जज्बात... एक किताबी कहानी.. अहसास...या कुर्बानी.. शब्दों में इतनी ताकत नहीं होती कि वो मुहब्बत...