एक लल्ला है हमारा…
एक लल्ला है हमारा... और हम सब उसकी यशोदा मैया! उसे रोज नहलाते हैं, रूटीन से खाना खिलाते हैंं, सर्दी-गर्मी...
एक लल्ला है हमारा... और हम सब उसकी यशोदा मैया! उसे रोज नहलाते हैं, रूटीन से खाना खिलाते हैंं, सर्दी-गर्मी...
एक चेहरा जो पर्दे की पहचान बन गया। उसका अक्स हर आंखों में छा गया, वह दिल के बहुत करीब...
ये सतरंगी उम्र... जब दुनिया होती है रंगीन... दिखता है चारों तरफ इंद्रधनुष ही इंद्रधनुष गुदगुदा जाता है हवा का...