प्रेम का इंद्रजाल
प्रिय..... कितनी बार चाहा कि तुम्हें, ना चाहूं। पर, कैसे करूं जाहिर कि कितना चाहा है मैंने.. समझाती हूं भूल...
प्रिय..... कितनी बार चाहा कि तुम्हें, ना चाहूं। पर, कैसे करूं जाहिर कि कितना चाहा है मैंने.. समझाती हूं भूल...
वह धड़क रहा था मेरी धड़कनों में वह ले रहा था सांसें मेरी सांसों के साथ बढ़ गई थी मेरी...
एक समाज ये न जाने कितनी हस्ती थी रहते हैं हम जहां वह शरीफों की बस्ती थी। जाने कहां से...
एक निर्वस्त्र औरत दुबकी है कोने में, आंखें भी उसकी असमर्थ है रोने में,, अचानक दौड़े आए, आए.... और भी...
ना मैं पाषाण ना ही पत्थर की मूर्ति हूं मेरे अंदर की भावनाएं भी उछाल मारती हैं पर... चांद पा...
एक लड़की अल्हड़ सी, अदाएं भी मासूम... मंडराती है भंवरे सी कलियों को चूम-चूम नहीं जानती है कली वह ताजातरीन...
कुछ कहना चाहती हूं तुमसे कुछ नहीं, बहुत कुछ.... पर एक तुम हो, जो सुनना ही नहीं चाहते.., तुम्हारे पास...
मैं होती हूं नींद के आगोश में, और तुम चुपके से आ जाते हो... जाने कैसे बिना आहट के मेरे,...
ये सतरंगी उम्र... जब दुनिया होती है रंगीन... दिखता है चारों तरफ इंद्रधनुष ही इंद्रधनुष गुदगुदा जाता है हवा का...