Poetry
मुक्त होने की चाह…
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं..... नहीं चाहती - कोई समाज, कोई परिवार ना चाहती हूं...
कहानी जिंदगी की…
यह कविता मैंने अपने छोटे चाचा के लिए लिखी थी। मैं 12th में थी इस घटना ने मुझे अंदर तक...
प्रेम का इंद्रजाल
प्रिय..... कितनी बार चाहा कि तुम्हें, ना चाहूं। पर, कैसे करूं जाहिर कि कितना चाहा है मैंने.. समझाती हूं भूल...