मुक्त होने की चाह…
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं..... नहीं चाहती - कोई समाज, कोई परिवार ना चाहती हूं...
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं..... नहीं चाहती - कोई समाज, कोई परिवार ना चाहती हूं...
कुछ लोग सफलता की ऊंचाई पर पहुंचते ही अपनी जमीन भूल जाते हैं। उन्हें अपने गरीब रिश्तेदार की पहचान से...
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा रेखा! ये ममत्व और प्यास...
आज के स्मार्ट बच्चे कहां समझ पाएंगे रिश्तों की मिठास। उनके पास रिश्तों के नाम पर है ही क्या? जब...
जीवन की संध्या बेला में गर छूट जाए हम सफर... पत्थरों और कांटों से भरा होता है आगे का...