मैं धरा पुत्री नहीं
धरा की पुत्री थी वह धरा की ही तरफ सहनशील, क्षमाशील.... मैं हूं एक आम लड़की..... कैसे बन सकती हूं...
धरा की पुत्री थी वह धरा की ही तरफ सहनशील, क्षमाशील.... मैं हूं एक आम लड़की..... कैसे बन सकती हूं...
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा रेखा! ये ममत्व और प्यास...