मुक्त होने की चाह…
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं..... नहीं चाहती - कोई समाज, कोई परिवार ना चाहती हूं...
तमाम बंधन के जकड़ को तोड़, मुक्त होना चाहती हूं..... नहीं चाहती - कोई समाज, कोई परिवार ना चाहती हूं...
यहां आए दिन होती हत्या, हाय-तौबा मचाने जैसा क्या है? हमने बहुत सारी छोटी-छोटी बारीक गलतियों को नजरअंदाज कर इंसानियत...
आज सुबह से ही मेरे पड़ोस में गहमागहमी का माहौल था। जोर-जोर से आवाजें आ रही थीं। मैं भी परेशान...
ये मर्यादित पुरुष जो स्त्रियों की मर्यादा तय करते हैं। बड़ी आसानी से किसी भी स्त्री के अंग-प्रत्यंग पर दोस्तों...
लड़की की शादी तय होते ही वह ख्वाबों में खो जाती है। शादी अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज इससे...
एक समाज ये न जाने कितनी हस्ती थी रहते हैं हम जहां वह शरीफों की बस्ती थी। जाने कहां से...
एक चेहरा जो पर्दे की पहचान बन गया। उसका अक्स हर आंखों में छा गया, वह दिल के बहुत करीब...
३ दिसंबर, २०२२ यूं तो बेटियों को घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती ! फिर क्यों उन्हें शादी...