हमेशा युवा दोषी नहीं…
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा रेखा! ये ममत्व और प्यास...
इंसान के अंदर ना ही ममत्व की थाह है और ना ही प्यास की सीमा रेखा! ये ममत्व और प्यास...
ये सतरंगी उम्र... जब दुनिया होती है रंगीन... दिखता है चारों तरफ इंद्रधनुष ही इंद्रधनुष गुदगुदा जाता है हवा का...