अरे वो शहरी बाबू…
मैं गांव की नहीं हूं मैं शहर में पली-बढ़ी हूं। अरे! बाबा हमका माफी दे दो... क्योंकि मैं नहीं हम...
मैं गांव की नहीं हूं मैं शहर में पली-बढ़ी हूं। अरे! बाबा हमका माफी दे दो... क्योंकि मैं नहीं हम...
प्रीति प्रकाश1 दिसंबर, 2022मुहब्बत... एक जज्बात... एक किताबी कहानी.. अहसास...या कुर्बानी.. शब्दों में इतनी ताकत नहीं होती कि वो मुहब्बत...